धारा और दुर्वा को घास भी कहा जाता है। ये तो सभी जानते हैं कि गणेशजी का प्रिय हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान इस घास का प्रयोग किया जाता है। लेकिन पूजा के अलावा दुर्वा घास के लाभ कई हैं। दिल खुशी से भर जाता है दुर्वा घास की हरी यम प्राकृतिक सौंदर्य को देखते ही उस पर नंगे पैर चलने के कई फायदे हैं। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और शरीर में कई बीमारियां भी शांत होती हैं।

इसकी पत्तियां 2-10 सेमी लंबा, 1.2-2 मिमी चौड़ा, मजबूत, नरम होता है। इसका सामने की सुई की तरह है। इसके फूल हरे बैंगनी रंग के होते हैं। इसके फल छोटे-छोटे दानों के रूप में होते हैं। अनाज 1 मिमी लंबे, बड़े होते हैं और बीज छोटे, आयताकार भूरे रंग के होते हैं। फूल ज्यादातर जुलाई से जनवरी तक खिलता है ।

आयुर्वेद के अनुसार, दूर्वा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम आदि आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। यह पित्त और कब्ज जैसे विकारों को दूर करता है। साथ ही यह पेट की समस्याओं, यौन संचारित रोगों और लीवर की बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद साबित होता है।

मासिक धर्म से अधिक रक्तस्राव होने पर यह घास का रस बहुत उपयोगी होता है। यह ब्लड प्रेशर में भी बहुत फायदेमंद होता है। दूर्वा घास में आधा कप चीनी मिलाकर दिन में दो बार पीने से फाइदा होता है। इसके साथ ही चावल के पानी में मिलाने से यह ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। वीर्य को मजबूत करने के लिए दूर्वा बहुत फायदेमंद साबित होता है। उस हिस्से में पीसी लगाना फायदेमंद होता है।

यदि आप काम के तनाव और भगोड़ा जीवन के कारण सिर दर्द का सामना कर रहे हैं तो दूर्वा का घरेलू उपाय बहुत फायदेमंद साबित होगा। सिर पर पानी में बराबर मात्रा में दुर्वा घास और नीबू लगाने से सिर दर्द ठीक होता है। शरीर में खून की कमी से एनीमिया जैसी जानलेवा बीमारी हो जाती है, जो कई बार जानलेवा साबित होती है। दुर्वा घास में एनीमिया को ठीक करने की चमत्कारी क्षमता होती है। दरअसल, घास के इस रस को ग्रीन ब्लड भी कहा जाता है क्योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्या से राहत मिलती है।

दूर्वा घास में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक एजेंट त्वचा की खुजली, त्वचा पर चकत्ते और एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। दूर्वा घास को हल्दी पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें और चेहरे पर लगाएं। दूर्वा घास और हल्दी का लेप चेहरे पर लगाने से भी चेहरे पर होने वाले रैशेज से छुटकारा मिलता है।

इस प्रकार दुर्वा घास चेहरे की सुंदरता को बनाए रखने में मदद करती है। अनार के फूलों के रस को दुर्वा घास के रस के साथ मिलाकर नाक में 1 से 2 बूंदें डालना जब खर्राटों की समस्या होती है तो काफी राहत मिलती है। इसके अलावा अगर हमारी नाक से खून बहना नहीं रुक रहा है तो दूर्वा इसके लिए बहुत ही फायदेमंद इलाज का काम भी करती है।

दूर्वा घास का प्रयोग रक्तस्राव और गर्भपात के लिए भी उपयोगी होता है। दूर्वा घास के रस में सफेद चंदन और गन्ना मिलाकर पीने से रक्त प्रदर में तुरंत लाभ मिलता है। साथ ही कुष्ठ रोग, रक्तस्राव और गर्भपात के कारण होने वाले रक्तस्राव से राहत मिलती है और रक्तस्राव तुरंत बंद हो सकता है।

अगर आपको ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज्ड फूड या बाहर के खाने से डायरिया हो जाता है तो दूर्वा घास का घरेलू उपाय आपके बहुत काम आएगा। दूर्वा घास के रस में साकार मिलाकर पीने से पेशाब के रास्ते खून आना बंद हो जाता है। वहीं एक से दो ग्राम दूर्वा घास को पीसी दूध के साथ पीने से मूत्र मार्ग में सूजन, मूत्र असंयम और मूत्र मार्ग में संक्रमण से राहत मिलती है।