हमारा भारत देश एक धार्मिक देश माना जाता है। कहा जाता है कि हमारे देश में पत्थर को भगवान के रूप में भी पूजा जाता है। कोई पत्थर को देव के रूप में पूजा करता है तो भगवान उसमें विराजमान हो जाते है। कभी-कभी यदि हम माता की पूजा या अर्चना करते हैं तो हमने देखा होगा कि एक माताजी एक आदमी के अंदर आती है। और वह इंसान नाचने लगता है या अपने शरीर को तेजी से हिलाने लगता है। औरत के शरीर मे मत आती है तो वो माता के जेस व्यवहार करने लगता है। बहुत से लोगों का मानना है कि माताजी वास्तव में शरीर में आती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? क्या किसी व्यक्ति के शरीर में माता की छाया हो सकती है? क्या कोई देवी का रूप ले सकता है?

हमने कई बार देखा होगा कि जब माता आती है तो वह आदमी खुद को जंजीर से बांधकर पीटता है। या फिर हाथों में दीपक लेकर जाते हैं। आइए आज जानते हैं कि मां मनुष्य के शरीर में कैसे प्रवेश कर सकती है। आपने कई बार देखा होगा कि कोई व्यक्ति अपनी माता की पूजा में सिर हिलाने थरथराने लगता है। ज्यादातर समय माता महिलाओं के भीतर ही आती हैं। वे खुद के साथ अजीब ढंग से सौदा करते हैं । वह लगातार सरगर्मी रखता है । और कई बार वह इसे अपने हाथ में धारण करता है ।

वह अपने भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं। कई बार कुछ लोग इस पर विश्वास करते हैं। और अगर कोई उस पर विश्वास करता है तो उसका काम हो जाता है। और कुछ लोग कहते हैं कि आज अंधविश्वास है और वे ऐसा करते हैं। लेकिन इसके पीछे रहस्य निहित है । आइए जानते हैं। विज्ञान के आधार पर कहा जाता है कि उसे मनोवैज्ञानिक बीमारी है। विज्ञान कहता है कि व्यक्ति का मस्तिष्क कमजोर होता है। वह अक्सर एक-एक करके सोचता है। और उसे लगता है कि वह खुद माता है और थरथराना शुरू होता है । इसलिए कई बार वह अपने मे मात आती है उस दौरान धुलाई करने लगता है।

हम जानते हैं कि यदि मानव शरीर बहुत तुच्छ शरीर है तो ईश्वर शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता। तो क्या परमेश्वर को अपने शरीर में ले जा सकता है? क्या आपको लगता है कि भगवान पामर मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं? व्यक्ति में एक मानसिक तंत्र होता है कि वह यह मानने लगता है कि मैं दैवीय शक्ति हूं। हमने हिंदी की पिक्चर भूलभुलैया में देखा होगा कि आत्मा उसके शरीर में आती है । मंजुलिका एक अभिनेत्री हैं । अभिनेत्री मंजुलिका को लगता है कि उनके अंदर कोई है और उसी तरह का बर्ताव करती हैं । ऐसा होता है और वैज्ञानिकों ने इसे गलत साबित कर दिया है।